अकोदिया में 40 रुपए से 32 हजार तक की मिट्टी की मूर्तियां तैयार, चांद पर विराजमान गणेश की मूर्ति की विशेष मांग
अकोदिया में गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। स्थानीय मूर्तिकार मनोज प्रजापत और उनका परिवार पिछले 8 महीनों से मिट्टी की मूर्तियां बना रहा है। इस बार उनकी खास आकर्षण चांद पर विराजमान गणेश जी की मूर्ति है, जिसमें चंद्रमा के नीचे गरुड़ जी भी दर्शाए गए हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पीओपी के बजाय मिट्टी की मूर्तियां तैयार की हैं। मूर्तियों की कीमत 40 रुपए से 32 हजार रुपए तक है और आकार 4 फीट से 12 फीट तक रखा गया है। परिवार पीढ़ियों से इस कला में जुड़ा हुआ है और ग्राहकों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पूरी मेहनत से कार्य कर रहा है।

अजय राज केवट माही
प्रखर न्यूज़ व्यूज एक्सप्रेस भोपाल मध्य प्रदेश
गणेश चतुर्थी की तैयारियां अकोदिया में चरम पर
मूर्तिकार परिवार की पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा
चांद पर विराजमान गणेश जी बनी आकर्षण का केंद्र
पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां: मिट्टी से बनी विशेष प्रतिमाएं
कीमत 40 रुपए से 32 हजार तक, 12 फीट तक की मूर्तियां तैयार
ग्राहकों की बढ़ती मांग को पूरा करने में जुटा पूरा परिवार
अकोदिया में 27 अगस्त से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में उत्सव की तैयारियां चल रही हैं। टप्पा चौराहा और झंडा चौक पर दुकानें सज गई हैं।
स्थानीय मूर्तिकार मनोज प्रजापत और उनके परिवार के 13 सदस्य पिछले 8 महीनों से मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं। यह परिवार पीढ़ियों से मूर्तिकला में संलग्न है। इस वर्ष उन्होंने नए डिजाइन में मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें चांद पर विराजमान गणेश जी की मूर्ति विशेष आकर्षण का केंद्र बन रही है। इस मूर्ति में चंद्रमा के नीचे गरुड़ जी को दर्शाया गया है।
प्रजापत परिवार ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पीओपी की बजाय मिट्टी की मूर्तियां बनाने का निर्णय लिया है। उनकी मूर्तियों की कीमत 40 रुपए से लेकर 32 हजार रुपए तक है। इस वर्ष उन्होंने 4 फीट से लेकर 12 फीट तक की मूर्तियां तैयार की हैं।
मनोज प्रजापत के अनुसार, पहले की तुलना में मूर्तिकला में बहुत बदलाव आया है। अकोदिया और आसपास के क्षेत्रों से लोग उनकी मूर्तियां खरीदने आते हैं। उनका पूरा परिवार दिन-रात मेहनत कर ग्राहकों की मांग को पूरा करने में जुटा रहता है।