पर्युषण पर्व दिवस-7 : भगवान पार्श्वनाथ और आदिनाथ के आदर्शों से मिली समता व क्षमा की प्रेरणा

प्रवचन में भगवान पार्श्वनाथ के समता और क्षमा संदेश तथा भगवान आदिनाथ की जीवन व्यवस्था की शिक्षाओं का वर्णन

पर्युषण पर्व दिवस-7 : भगवान पार्श्वनाथ और आदिनाथ के आदर्शों से मिली समता व क्षमा की प्रेरणा

सूरत, पर्वत पाटिया स्थित सर्वमंगलमय वर्षावास कुशल दर्शन दादावाड़ी में चल रहे पर्युषण पर्व के सातवें दिवस का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और भावनात्मक वातावरण में सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ खरतरगच्छाचार्य संयम सारथी, शासन प्रभावक आचार्य श्री जिनपीयूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. के मंगलाचरण और मधुर कंठ से शासन गीत के साथ हुआ। तत्पश्चात मुनि श्री शास्वतसागरजी म.सा. ने कल्पसूत्र पर आधारित प्रवचन में भगवान पार्श्वनाथ के दस भवों का वर्णन किया।

उन्होंने बताया कि दसवें भव में वे मरुभूति नाम से जन्मे, जहाँ उनके भाई कमठ से वैर संबंध उत्पन्न हुआ। किंतु मरुभूति ने वैर का त्याग कर क्षमा और समता का मार्ग अपनाया और आगे चलकर 23वें तीर्थंकर पुरुषादानीय भगवान पार्श्वनाथ बने। वहीं कमठ ने वैर की गाँठ बाँधकर अनेक भवों तक उपसर्ग दिया, किंतु हर बार प्रभु ने समता और क्षमा का आदर्श प्रस्तुत किया।

मुनि श्री ने कहा कि प्रभु पार्श्वनाथ के पाँच कल्याणक – गर्भ, जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष – प्रत्येक साधक को जीवन की पराकाष्ठा की दिशा में प्रेरित करते हैं। उपसर्गों के समय प्रभु की समता यह शिक्षा देती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी क्षमा और शांति ही धर्म की सच्ची साधना है।

इसी क्रम में मुनि श्री समर्पितसागरजी म.सा. ने कल्पसूत्र में वर्णित प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि उन्होंने मानव समाज को कृषि, व्यापार, लिपि और भोजन की विधियाँ सिखाईं तथा चतुर्विध संघ की स्थापना कर धर्म की नींव रखी। भगवान आदिनाथ का जीवन सभ्यता, व्यवस्था और धर्म के आदर्श का मार्ग दिखाता है, जबकि भगवान पार्श्वनाथ का जीवन क्षमा और समता का संदेश देता है।

आज के प्रवचन का मुख्य संदेश :

   •   समता ही सच्चा बल है।

   •   वैर छोड़कर क्षमा अपनाने से ही आत्मा का उत्थान संभव है।

बाड़मेर जैन श्री संघ के वरिष्ठ सदस्य श्री चम्पालाल बोथरा ने कहा कि – “आदिनाथ भगवान हमें जीवन व्यवस्था का मार्ग दिखाते हैं और पार्श्वनाथ भगवान हमें वैर-मुक्त क्षमा का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देते हैं।”

आज मूल कल्पसूत्र और पाँच ज्ञान की बोलियाँ बोली गईं। कल उनका वाचन आचार्य श्री के मुखारबिंद से होगा। प्रवचन के पश्चात तपस्या करने वाले सभी आराधकों की साता पूछी गई। तपस्वी आराधकों की अनुमोदन के लिए संघ द्वारा दोपहर को सामूहिक सांझी का आयोजन हुआ, जिसमें हज़ारों महिलाओं ने भाग लिया और रायपुर से आए संगीतकार अंकित लोढ़ा की प्रस्तुति पर खूब अनुमोदना की।

संध्या में प्रतिक्रमण, परमात्मा की भव्य आंगी रचना और भक्ति संध्या का आयोजन हुआ। सैकड़ों दादा भक्तों ने नृत्य और भक्ति गीतों से वातावरण को आध्यात्मिक और भक्तिमय बना दिया।

संकलन :चम्पालाल बोथरा, सूरत

9426157835