सिंधिया को सीएम बनाओ, नहीं तो खैर नहीं” –मुरैना में पोस्टर से मचा सियासी बवाल
मुरैना में एक पोस्टर ने सियासत में हलचल मचा दी है।बैरियर चौराहा पर लगे इस पोस्टर में लिखा था,ज्योतिरादित्य सिंधिया को CM बनाओ,नहीं तो अपनी खैर मनाओ।पोस्टर देखते ही भीड़ जुट गई और वीडियो वायरल होने लगे।दो दिन पहले ही सिंधिया का मुरैना दौरा और उनका भव्य स्वागत हुआ था।अब सवाल उठ रहा है।क्या सिंधिया होंगे MP के अगले सीएम

बैनरों पर ‘खैर बचाओ’ जैसे धमकी भरे शब्दों ने जिला प्रशासन और राजनीतिक दलों में हड़कंप मचा दिया
मध्य प्रदेश के मुरैना में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने एक बार फिर राजनीतिक हलचल मचा दी है. बेरियल चौराहे पर लगाए गए विशाल बैनरों से सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तेज हो गई है. बैनरों पर साफ लिखा है, “श्रीमंत महाराज साहब ज्योतिरादित्य सिंधिया जी को मुख्यमंत्री बनाओ… नहीं तो अपनी खैर बचाओ…”. यह अपील भगवान दास त्यागी संत समाज सेवा समिति की ओर से की गई है, जिसने समर्थकों को एकजुट करने का संकल्प लिया है.
बैनर लगाए जाने की घटना बीते 13 सितंबर को सिंधिया के एकदिवसीय प्रवास के ठीक बाद घटी. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुरैना जिले को दो बड़ी सौगातें दीं. पहली सौगात के रूप में उन्होंने जिले में नई एयरपोर्ट सुविधाओं का ऐलान किया, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी. दूसरी सौगात कृषि क्षेत्र को समर्पित थी, जिसमें किसानों के लिए 500 करोड़ की सब्सिडी योजना का विस्तार शामिल है.
बैनर में धमकी भी!
हालांकि, बैनरों पर ‘खैर बचाओ’ जैसे धमकी भरे शब्दों ने जिला प्रशासन और राजनीतिक दलों में हड़कंप मचा दिया. कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. विपक्षी दलों ने इसे ‘राजनीतिक उन्माद’ करार दिया, जबकि सिंधिया समर्थक इसे ‘जनभावना का प्रकटीकरण’ बता रहे हैं. संत समाज सेवा समिति के अध्यक्ष भगवान दास त्यागी ने कहा, “सिंधिया जी ने हमेशा समाज के हित में काम किया है. अब समय आ गया है कि उन्हें प्रदेश की कमान सौंपी जाए.”
पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
मुरैना की राजनीति में सिंधिया का प्रभाव हमेशा से गहरा रहा है. 2020 के राजनीतिक संकट के बाद वे बीजेपी में शामिल हुए और केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाई. समर्थकों का मानना है कि उनकी नेतृत्व क्षमता प्रदेश को नई दिशा देगी. जिला पुलिस ने बैनरों की निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की. राजनीतिक विश्लेषक इसे आगामी विधानसभा चुनावों की पूर्वपीठिका मान रहे हैं.