प्रति दिन सजग रहें स्वाधीन राष्ट्र के वैभव को बढ़ाने के लिए – प्रो शर्मा स्वाधीनता आंदोलन और मातृभूमि वंदना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्वाधीनता आंदोलन और मातृभूमि वंदना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से साहित्यकारों, कवियों और देशभक्तों ने भाग लिया। कार्यक्रम में राष्ट्रभक्ति गीत, कविता और विचार प्रस्तुत किए गए। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। उन्होंने स्वाधीन राष्ट्र के वैभव को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन सजग रहने और पांच मुख्य बातें—देशप्रेम, परस्पर एकता, स्वतंत्रता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक गौरव—पर अमल करने की आवश्यकता बताई।

स्वाधीनता आंदोलन और मातृभूमि वंदना पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
Ujjain,प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्वाधीनता आंदोलन और मातृभूमि वंदना पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में सहभागी साहित्यकारों ने राष्ट्रभक्ति गीत, कविता एवं विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता श्री पदमचंद गांधी, जयपुर ने की। मुख्य अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे, डॉ हरिसिंह पाल नई दिल्ली, शहनाज शेख, नांदेड़, राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ प्रभु चौधरी आदि ने विचार व्यक्त किए। भारत के विभिन्न स्थानों के साहित्यकारों, कवियों, कवियित्रियों एवं देशभक्तों ने इस संगोष्ठी में भाग लिया।
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्य वक्ता प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारत माता का शृंगार इस भूमि की प्रकृति ने किया है। क्षेत्र प्रेम, राष्ट्र प्रेम और विश्व प्रेम की भावना परस्पर पूरक हैं। राष्ट्रीयता के उन्मेष के लिए जरूरी है कि हमें अपने इतिहास के पन्नों का भान हो। स्वाधीन राष्ट्र के वैभव को बढ़ाने के लिए हम प्रति दिन सजग रहें। राष्ट्र प्रेम के लिए जरूरी पांच मुख्य बातें उन्होंने बताई, देशप्रेम, परस्पर एकता, स्वतंत्रता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक गौरव। इन पर सभी को अमल करना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पदमचंद गांधी ने अपने भावों को अभिव्यक्त करते हुए कवियों और राष्ट्रभक्तों की सराहना करते हुए कहा कि स्वतंत्रता वह है जो विकास की चरम ऊंचाइयों को प्राप्त करने का सुगम मार्ग बताती है। जो किसी दूसरे की राहों में रोडे नहीं अटकाती हैं, सब अपनी मर्यादा में काम करते हैं। वह देश धन्य होता है जिसके नागरिक राष्ट्र हित में कार्य करते हैं। राष्ट्रभक्ति का परिचय देते हैं, वही सुनागरिक कहलाते हैं। हम गौरवान्वित हैं कि हम भारत के सपूत हैं। उन्होंने कविता के माध्यम से ऐसी छोटी छोटी घटनाओं का जिक्र किया जो अनकही थीं, लेकिन वे भी स्वतंत्रता में भागीदार रहे। सच्चा राष्ट्रभक्त वही है जो दिल से अपने देश से प्रेम करे।
डॉ हरिसिंह पाल नई दिल्ली ने महिलाओं ने लोक भाषा के माध्यम से रचे गए लोक गीतों के द्वारा नई पीढ़ी को स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा दी तथा देशभक्ति को आगे बढ़ाया। उन्होंने संविधान पर हम खरे उतरें, इस पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश को बचाने के लिए सभी को जिम्मेदार बनना चाहिए।
कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए डा सुवर्णा जाधव पुणे ने काव्य के माध्यम से संगीत की तान हो, तिरंगे की पहचान हो, वही 15 अगस्त महान हो, इन प्रकार के भाव प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा तिरंगा केवल वस्त्र नहीं, लाखों शहीदों का जुनून है, वह हमारी शान है।
कवि कारुलाल जमड़ा, जावरा ने देश की समस्याओं को समेटते हुए काव्य पाठ किया। डॉक्टर अरुणा शुक्ला, महाराष्ट्र ने काव्य पाठ के माध्यम से ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े भावों को अभिव्यक्ति दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ डा सुवर्णा जाधव पुणे ने सरस्वती वंदना द्वारा किया गया। प्रस्तावना राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डा प्रभु चौधरी द्वारा रखी गई। संगोष्ठी में शिक्षक संचेतना की राष्ट्रीय महासचिव डॉ शहनाज अहमद शेख, नांदेड़ ने देशभक्ति से ओत-प्रोत कविता पाठ किया, जिसमें हिमालय की चांदी पिघलती रहे मेरे घर में गंगा उबलती रहे, की सरस अभिव्यक्ति की। राष्ट्रीय सचिव कवयित्री मधु लता शर्मा भोपाल ने अपनी कविताओं के माध्यम से बताया कि वतन की धूल उड़ उड़ कर सभी को चूम लेती है।
संगोष्ठी का संचालन मध्य प्रदेश इकाई की महासचिव गरिमा प्रपन्न ने किया। काव्य पाठ एवं विचार प्रस्तुत करने वाले सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए डा प्रभु चौधरी ने कार्यक्रम का जय हिंद जय भारत के नारों से समापन किया।