नियम और भाग्य ने मिलकर रची इंग्लैंड की जीत...! अजय बोकिल 9893699939 'न भूतो न भविष्यति।' यह जुमला शायद ऐसे ही दुर्लभ क्षणों के लिए बना है। यूं खेलों में रोमांच होता है, लेकिन यहां तो रोमांच ने ही खेल का रूप धर लिया था। एक लंदन शहर था, लेकिन एक ही तारीख और मौसम में उसमें दो दिल अलग --अलग धड़क रहे थे। इस मायने में 15 जुलाई की तारीख खेलों के इतिहास सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है। एक तरफ ऐतिहासिक लाॅर्ड्स के मैदान पर आईसीसी वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की अविश्वसनीय-सी लगने वाली जीत तो दूसरी तरफ इसी शहर के दूसरे सिरे पर विम्बलडन के ऐतिहासिक फायनल में नोवाक जोकोविच ने 4 घंटे 57 मिनट चले घनघोर संघर्ष में दिग्गज रोजर फेडरर को मात दे दी। जोकोविच ने कहा कि यह उनके टेनिस कॅरियर का 'मोस्ट मेंटली डिमांडिंग' मैच था। खेल के उन दोनो मैदानों पर इंसानी जिद, जीतने की अदम्य इच्छा और प्रयत्न की पराकाष्ठा प्रतिस्पर्द्धा कर रही थीं। खेल प्रेमी भी मानो दो खेमो में बंट गए थे। उधर टेनिस के पाॅइंट गिनने वाले इधर विकेटों और रनो का हिसाब भी रख रहे थे। दोनो तरफ उत्कंठा चरम पर थी कि आखिर खिताब किसके हा